गांव में आधे ही घंटे में कृषि कार्य करते समय धान खरपतवार से प्रभावित हो जाता है, पुराने समयों में आदिवासी जहाँ जीन रहे हते उस समय वे धान्य खरपतवार से मुक्त रे रहते थे पर आजकल जो धान जहाँ बोया जाता है वह ज्यादातर ऊत्पादमे खरपतवार की समसया पैदा कर देता है आपने गांव में ऐसा ही एक उत्पाद का नाम सुने होगा जिसका नाम “20 दिन रोपई के धान” है।
अगर आप भी इस उत्पाद की खेती करने का सोच रहें हैं, तो आपको खरपतवार मक्खी और कीड़े जो धान खराब करने में बहुत योगदान देते हैं, खत्म करने के लिए विशेष प्रक्रिया का पालन करना होगा। यहां हम आपको इस उत्पाद की खेती में प्रभावी राह दिखाएंगे जिससे आप खरपतवार की समस्या को कम कर सकेंगे।
1. बीज का चुनाव: खरपतवार से प्रभावित धान के लिए सही दाने का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। पॉटेशियम और कैल्शियम की अधिकता वाले बीज़ का चुनाव करें क्योंकि ये ईमानदार धान के लिए बहुत प्रभावी होते हैं।
2. उपयुक्त खेती तकनीक: खरपतवार की समस्या को कम करने के लिए धानों को बराबर दूरी पर रोपऐ जरूरत होती है। इसलिए, अपनी उपयोग खेती तकनीकों का प्रयोग करें और सभी व्यवस्थित तरीके से पौधों को रोपाई करें।
3. खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार जैसे मक्खियों और कीटों के मारने के लिए धान रोपई सीजन में प्रारंभीकाल में नियंत्रण के लिए उपयुक्त कीटनाशक या प्राक्रतिक कीटनाशक प्रयोग करें। किसानों के पास यहां उपलब्ध स्थानीय ज्ञान और प्रौद्योगिकी का अच्छा उपयोग करना चाहिए।
4. पोषण: खरपतवार से प्रभावित होने वाले धान का पोषण करने के लिए विशेष रूप से तागतार, मिर्च पाउडर और गंधक लाइनर का सही मात्रा में उपयोग करें। इनसे आपका धान सुरक्षित रहेगा।
5. जल प्रबंधन: खरपतवार समस्या से निपटने के लिए, उपयुक्त जल प्रबंधन के माध्यम से स्वामित्व नर्म रखें। योग्य जलस्रोतों को इस्तेमाल करें और नियमित जल संचय करें।
शेष कुछ ही उपायों का प्रयोग करके सही कर्णधारिता के साथ 20 दिन रोपई के धान को खरपतवार के प्रभाव से बचाया जा सकता है। पर्याप्त ज्ञान और अनुभव से सुसज्जित किसानों के लिए यह उत्पाद एक बड़ा मौका है जो खर्चों में कीमती मांग के साथ स्वस्थ उपजाऊ धान की व्यापारिकता को बढ़ा सकता है।