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Gehu ki fasal me kharapatawar niyantran ke lie kya kare

गेहूं की फसल में खराबीतीवार नियंत्रण के लिए क्या करें?

भारत में गेहूं एक महत्वपूर्ण फसल है जिससे अनेकों लोग अपनी आदत्ति अर्थिक प्राप्ति करते हैं। इसलिए गेहूं की फसल में खराबीती का मामला किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है। खराबीती के कारण फसलों में कीट और रोग व्याप्ति हो सकती है, जिससे पौधों की विकास रोक सकता है और उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। दूषित फसलों से नुकसान को कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपायों का पालन किया जा सकता है। निम्नलिखित हैं कुछ अचूक उपाय:
प्रबंधण और आगे पीछे की जांच: खराबी को पहचानने और नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर फसल का प्रबंधन करें। पेड़-पौधों पर खराबी के लक्षणों की निगरानी करें, जैसे कि रंग की पल्ली, भ्रमणी द्वारा फंसाए निशान, पत्‍तीयों का रंगन या डिमकी छेदक लक्षण, अपक्षरित पनीरपन, दलदली पत्‍तियाँ आदि।

जैविक खेती: कीटाणुओं और रोगों के खिलाफ सुरक्षा के लिए जैविक खेती विधियों का अधिक से अधिक प्रयोग करें। जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, फसल वार्डर खदित उपयोग करें जो कीटाणुओं और रोगों के प्रति अवधिक अनुकारण और नियंत्रण कर सकते हैं। इसके अलावा, मिट्टी को मूल्यांकन करने के लिए प्रकृतिक कच्चे खाद और बायोपैसूड्स का उपयोग करें।

बीजों का चुनाव और योजना: एक स्वस्थ फसल प्राप्त करने के लिए, उचित हाइब्रिड या उत्पादक बीजों का उपयोग करें। स्थानीय मौके के अनुसार फसल के उचित समय पर बीजों को उगाएं और क्रमिक रूप से पानी, खाद और पैम्फलेट मिश्रणों का उपयोग करें।

फसल संरक्षा चरण: फसल की सुरक्षा के लिए नियमित नदी किनारे, रेगुलर इंटरवल की बाढ़ और ढंकने का व्यवस्थित क्रम प्राप्त करें। इसके साथ ही पागल होंने से बचने के लिए उचित फंकी व अन्य लक्षण द्वारा चूहों के प्रकोप को रोकें।

अदुष्ट प्रबन्ध नीति: बीमारियों और कीटों के व्यापन से बचने और इसको नियंत्रित करने के लिए नियमित स्थान पर उपयुक्त प्रभावी दवा का द्वारा प्रबन्धन प्राप्त करें।

अंतत: गेहूं की फसल में खराबीती के संकट को न्यूनतम करने के लिए किसानों को खराबीती के नियंत्रण और प्रबंधन के योग्य उपायों का पालन करना चाहिए। व्यापक ज्ञान, सक्रिय जागरूकता, उचित प्रबंधन और नियमित मौजूदगी के बिना निष्फल होने की संभावना बढ़ जाती है। किसानों के लिए उपयोगी प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता भी उपलब्ध होनी चाहिए ताकि वे गेहूं की फसल में पैदावार को सुनिश्चित कर सकें और अच्छी वाणिज्यिक मूल्य प्राप्त कर सकें।

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